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इन सेवों में से जितने खाये जायें, उतने तू खा। कमी मत करना।"

उसने समझा कि प्रेमपात्र का मुझसे अपमान हुआ है।

इसगुलाम ने भौं चढ़ाकर कहा, "ऐ दयासागर! इस नीच ने मेरे बारे में जो कुछ कहा; उसका जरा-सा संकेत तो मुझे मिलना चाहिए।"

इस तरह बहुत-सी बातें करके बादशाह ने उस कुरूप गुलाम की अच्छी तरह परीक्षा कर ली और जब पहला गुलाम स्नान करके बाहर आया तो उसको अपने पास बुलाया। बदसूरत गुलाम को वहां से बिदा कर दिया। उस सुन्दर गुलाम के रूप और गुणों की प्रशंसा करके कहा, "मालूम नहीं, तेरे साथी को क्या हो गया था कि इसने पीठ-पीछे तेरी बुराई की!"

तू कहां से आ रहा है? कष्ट और विपत्तियों के कारण तेरी क्या दशा हो गयी है?"

जबतक प्रतिवादी उपस्थित न हो और दोनों ओर के बयान न लिखे जाये तबतक तहकीकात नहीं हो सकती, इसलिए हवा को बुलाना जरूरी है।"

जब उसेन अपने पेट से सांप को बाहर निकलते देखा तो डर का कारण थर-थर कांपने लगा। शरीर में जो पीड़ा घूंसों की मार से उत्पन्न read more हो गयी थी, वह तुरन्त जाती रही।

हजरत पैगम्बर ने उस बीमार से काह, "तूने कोई अनुचित प्रार्थना की हैं। तूने भूल में विष खा लिया है। याद कर, तूने क्या हुआ की?"

"उस जगह का कूड़ा-करकट साफ कर देना और अगर वहां सील हो तो सूखी घास बिछा देना।"

"हजरत, आप चिन्ता न कीजिए। मेरा काम दूध की तरह स्वच्छ और बेलग होता है। मैं आपने काम में आपसे ज्यादा होशियार हो गया हूं। भले-बुरे मेहमानों से वास्ता पड़ा है। जिसे जैसा देखता हूं, वैसी ही उसकी सेवा करता हूं।"

मुहम्मद साहब ने काह, "खबरदार, ऐसी प्रार्थना फिर न करना!

चोबदारों को पानी की प्रशंसा सुनकर हंसी आने लगी। लेकिन उन्होंने प्राणों की तरह मशक को उठा लिया, क्योंकि बुद्धिमान बादशाह के सदगुण सभी राज-कर्मचारियों more info में आ गये थे।

लिए,अब तो गूंजते हैं नारे तालिबान के लिए...हिन्दू

एक साधु पहाड़ों पर रहा करता था। न उसके स्त्री थी और न बच्चे। वह एकान्तवास में ही मगन रहा करता था।

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